आज विश्व धरती दिवस है। पर, ताजमहल के शहर में धरती की सेहत से ही खिलवाड़ किया जा रहा है। महज दो साल के अंदर आगरा की धरती से 10 वर्ग किलोमीटर हरियाली छीन ली गई।
वह पौधे जो धरती मां का श्रृंगार करते हैं। पर्यावरण को सहेजते हैं, ऐसे 10 किलोमीटर जंगल को कुल्हाड़ी से काट दिया गया। ये हम नहीं कह रहें। आंकड़े बल्कि फॉरेस्ट सर्वे इंस्टिट्यूट देहरादून की हालिया रिपोर्ट में पेश किए गए है।
आगरा में साल 2017 की तुलना में 2019 की रिपोर्ट के अनुसार 9.38 वर्ग किलोमीटर वन आवरण कम हो गया। यह कमी मध्यम घनत्व वाले जंगलों में 0.32 वर्ग किलोमीटर और खुले जंगल में 9.06 वर्ग किलोमीटर आई है। जो खुले जंगल थे। वे झाड़ियों में बदल गए।
झाड़ियों वाला क्षेत्रफल जो 2017 में 64 वर्ग किलोमीटर था। वह 2019 में बढ़कर 75.14 वर्ग किलोमीटर हो गया। खुला जंगल वह है, जहां पेडों की कैनोपी का आवरण 10 प्रतिशत से 40 प्रतिशत है और झड़ियों का क्षेत्र वह कहलाता है जहां 10 प्रतिशत कैनोपी का आवरण कवर से भी कम है।